12% से कम हो सकता है आपका PF कंट्रीब्यूशन! EPFO ले सकता है बड़ा फैसला

मौजूदा नियम के मुताबिक, कर्मचारी भविष्‍य निधि (EPF) में एम्प्लॉई और एम्‍प्लॉयर दोनों का 12-12 फीसदी अंशदान (Contribution) होता है. कर्मचारी और नियोक्ता (कंपनी) दोनों को बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने प्रोविडेंट फंड में जमा करना होता है.

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड (PF) में कटने वाला हिस्सा कम हो सकता है. आने वाले दिनों में 12 फीसदी कटने वाले प्रोविडेंट फंड को घटाया जा सकता है. नए नियम के मुताबिक, कर्मचारियों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि वह अपने 12 फीसदी हिस्से को घटाकर कम कर सकें. हालांकि, इस न्यूनतम लिमिट क्या होगी यह अभी तय नहीं है. लेकिन, नए नियम का असर कंपनी पर नहीं होगा. कंपनी को प्रोविडेंट फंड में 12 फीसदी ही जमा करना होगा.

क्या है नया नियम?
नया नियम सोशल सिक्योरिटी कोड 2019 का हिस्सा होगा. बिल को इस हफ्ते संसद में रखा जा सकता है. बिल के मुताबिक, कर्मचारियों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वो अपनी इच्‍छा से चाहे तो पीएफ के लिए कम राशि कटवा (PF Deduction) सकता है. मतलब यह कि कर्मचारी अपना हिस्सा 12 फीसदी से कम कटवा सकेगा. बिल केंद्रीय कैबिनेट से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. अगर संसद में यह बिल पारित हो जाता है तो EPFO इस नियम को नोटिफाई कर देगा.

क्या होगा फायदा?
प्रोविडेंट फंड के हिस्से को कम करने से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (हाथ में आने वाली सैलरी) बढ़ जाएगी. सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार ने इसका एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है. मोदी सरकार का मकसद है कि लोगों को उनके हाथ में ज्यादा पैसा मिले. इससे खर्च करने की क्षमता में इजाफा होगा. हालांकि, प्रोविडेंट फंड का नया नियम चुनिंदा सेक्टर्स पर ही लागू होगा. सूत्रों के मुताबिक, नए नियम में प्रोविडेंट फंड का हिस्सा 9 फीसदी से 12 फीसदी के बीच हो सकता है. लेकिन, नियोक्ता का हिस्सा 12 फीसदी ही रहेगा. 

क्या होगा नुकसान?
एक तरफ जहां कर्मचारियों को हाथ में ज्यादा सैलरी मिलेगी. वहीं, उनके रिटायरमेंट फंड पर इसका असर पड़ेगा. क्योंकि, अंशदान कम होने से उनके प्रोविडेंट फंड में कम पैसा जमा होगा. इसका असर रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला सेविंग फंड पर पड़ेगा. कम अंशदान होने पर रिटायरमेंट फंड भी कम होगा.

अभी क्या है नियम?
मौजूदा नियम के मुताबिक, कर्मचारी भविष्‍य निधि (EPF) में एम्प्लॉई और एम्‍प्लॉयर दोनों का 12-12 फीसदी अंशदान (Contribution) होता है. ऑर्गनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारी और नियोक्ता (कंपनी) दोनों को बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने प्रोविडेंट फंड में जमा करना होता है. अब नए नियम में इसे थोड़ा सरल बनाया जा रहा है. खासकर MSME, टेक्सटाइल और स्टार्टअप्स जैसे सेक्टर्स के लिए नए नियम को लागू किया जा सकता है. लेकिन, दूसरे सेक्टर्स में इसका कितना असर होगा, यह बिल आने के बाद पता चलेगा.

मामले की जानकारी रखने वाले EPFO के दो अधिकारियों के मुताबिक, इस नियम पर पिछले पांच साल से चर्चा हो रही है. लेकिन, इसे सोशल सिक्योरिटी बिल के साथ ही पेश किया जाना है. हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को ही लेना होगा.



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